राज

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शास्त्र तन्त्र भाषा इतिहास।
षष्टिसम्वत्सर नाम। अग्निपुराण अध्याय १३९ से। शोधनीय। युवा अथवा पूर्ण। सुभानु अथवा स्वर्भानु। दुर्मुख के पूर्व दुष्कर होना चाहिए। शुभकृत् तथा शोभकृत् दो के स्थान पर एक ही शोभन होना चाहिए। आनल अथवा आनन। कालयुक्त अथवा काल। क्रोधी से आनन्द तक ग्यारह नाम अनुपलब्ध। image
अद्य कालयुक्तसम्वत्सर पौषमास कृष्णदशमी रविवार हस्तनक्षत्र। बार्हस्पत्य सम्वत्सर परिकलन के लिए सूर्यसिद्धान्त तथा ज्योतिषतत्त्व से प्राप्त विधि अनुसार कालयुक्त सम्वत्सर चल रहा है विश्वावसु नहीं।