शास्त्र अथवा स्वतन्त्र।

पंचदशी तृप्तिदीपप्रकरणम्। लौकिकव्यवहारेऽहं गच्छामीत्यादिके बुधः। विविच्यैव चिदाभासं कूटस्थात्तं विवक्षति ॥१२॥
सदाचार। प्र॰। किसका आचरण प्रमाण। उ॰। अमुक स्मृति विशेष द्वितीय अध्याय। सरस्वतीदृषद्वत्योर् देवनद्योर्यदन्तरम् ॰ तस्मिन्देशे य आचारः ॰ स सदाचार उच्यते ॥१८॥ क्योंकि आज सरस्वती नदी लुप्त है यह देशकाल सीमित सदाचार प्रमाण वर्तमान में अनुपलब्ध।
प्र॰। आचार्य कौन। उ॰। अमुक स्मृति विशेष अ॰२ सू॰१४० । ॰ यः शिष्यं वेदमध्यापयेद्द्विजः ॰ तमाचार्यं प्रचक्षते।
बृहदारण्यकोपनिषद २॰१ भाष्य। ॰ मुख्यब्रह्मविदा अजातशत्रुणा अमुख्यब्रह्मविद्गार्ग्यो ॰ ॥१४॥ प्रतिलोमं ॰ उपगच्छेत् शिष्यवृत्त्या ॰ एतदाचारविधिशास्त्रेषु निषिद्धम्। तस्मात् तिष्ठ त्वम् आचार्य एव सन्। विज्ञपयिष्याम्येव त्वामहम् ॥१५॥ अर्थात शास्त्र निषेध मानकर गुरु बने बिना विज्ञप्त किया।