गीता। सङ्करस्य च कर्ता स्यामुपहन्यामिमाः प्रजाः॥ भाष्य। मम ईश्वरस्य अननुरूपमापद्येत॥
धर्म की जय हो। image
अद्य गुरुवार विश्वावसु कार्तिक शुक्ल द्वितीया।
अर्थात यथेष्टचेष्टा अथवा अवैदिक आचरण से नास्तिकता बढेगी लोकसंग्रह के विपरीत।